Sunday 28 July 2013

विदेशी गुलामी और गृहयुद्ध में ढकेला जा रहा देश

हिन्दोस्तान के वो लोग जो राष्ट्रभक्त होने का ढोल पीटते फिरते हैं वे ही देश को एक बार फिर विदेशी गुलाम बनाने की कोशिशों में रात दिन एक किये नजर आ रहे हैं। देश के राजनैतिक और खासकर कांग्रेस व भाजपा, संघ लाबी भारत को भयंकर गृहयुद्ध में झोंककर देश को विदेशी हाथों में देने की कोशिशों में लगे हैं। भारत में गुजरे
लगभग ढाई दशक से हिन्दोस्तानी नहीं रहे अब केवल मौजूद हैं हिन्दू और मुसलमान। गुजरात आतंकवाद की हीरो बीजेपी देश को भयानक गृहयुद्ध में ढकेलने पर आमादा है तो आरएसएस की एजेण्ट कांग्रेस पिछले दरवाजे से बीजेपी को पूरी मदद दे रही है। भाजपा को बुलन्दियों तक पहुंचने वाले लालकृष्ण अडवानी, सुषमा स्वराज जैसे नेताओं को नीचा दिखाते हुए बीजेपी प्रधानमंत्री पद के लिये मोदी का नाम सामने लाई है, मोदी एक ऐसा नाम जिसकी पहचान ही बेगुनाहों के कत्लेआम हो। बीजेपी के इस कारनामें के बाद कम से कम यह तो साफ हो जाता है कि बीजेपी को अपना खून पसीने से सींचने वाले आडवानी, सुषमा स्वराज, यशवन्त सिन्हा की उनकी ही पार्टी में कोई खास वैल्यु नहीं है। राष्ट्र प्रेमी बनने का ड्रामा करते रहने वाली संघ लाबी राष्ट्र की सबसे बड़ी दुश्मन बनकर सामने आ रही है। संघ लाबी देश को तबाह बर्बाद करके विदेशी गुलामी में ढकेलने की जुस्तजू में लगी दिखाई पड़ रही है। दरअसल एक बार राम मन्दिर के नाम पर बीजेपी केन्द्र की सत्ता में पहुंच गयी लेकिन सत्ता के गलियारों में पहुंचकर अपने ऐशो आराम में इस हद तक मदहोश हो गयी थी कि उसे साढ़े छः साल तक श्रीराम चन्द्र जी से कोई लेना देना ही नहीं रहा था यानी राम मन्दिर के नाम पर वोट देने वालों के साथ धोका करने के साथ साथ "राम" को भी धोका देने से नहीं चूकी, राम मन्दिर बनाना तो दूर मन्दिर की बात तक करना भूल गयी थी बीजेपी। इसके बाद राम के नाम पर एक जुट बीजेपी को वोट देने वाला हिन्दू वोट बीजेपी की करतूत को समझ गया और नतीजा यह हुआ कि मतदाताओं ने आरएसएस एजेण्ट कांग्रेस को केन्द्र के गलियारों तक पहुंचा दिया। बीजेपी आ गयी सड़क पर। अब बीजेपी के पास हिन्दुओं को बहकाकर उनका वोट हासिल करने के लिए कोई बहाना नहीं रहा, ऐसे हालात में संघ लाबी अच्छी तरह समझ चुकी है कि अब संघ लाबी के किसी भी धड़े को देश का अमन पसन्द हिन्दू वोट भी मिलने वाला नहीं, इस स्थिति में संघ लाबी बिल्ली की सोच से चलने लगी यानी  "जब बिल्ली का मूंह दूध के बर्तन में न पहुंच पाने की वजह से बिल्ली दूध नहीं पी पाती तो वह पंजा मारकर दूध को गिरा देती है क्योंकि बिल्ली की सोच होती है कि अगर मुझे न मिले तो किसी दूसरे को भी न मिले"। संघ लाबी, बीजेपी भी बिल्ली के दिमाग से काम ले रही है संघ लाबी यह मान चुकी है कि अब उसे कम से कम दिल्ली की गद्दी तो कभी मिलने वाली नहीं है इसलिए संघ लाबी इसे बखेर देना चाहती है। इसी सोच के साथ संघ लाबी ने भारत को तबाह बर्बाद करने की ठान ली है इसी प्लानिंग के तहत खूब सोच समझकर संघ लाबी ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक ऐसा नाम चुना जो कि खुद आतंक का पर्यायवाची बन चुका हो। मोदी जैसा शख्स जिसने मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल जाने पर गुजरात को आतंक की पहचान बना दिया तो पूरे देश में वही हाल बनाने की कोशिश नहीं की जायेगी लेकिन सिर्फ गुजरात और पूरे देश में बहुत फर्क है अगर देश भर को गुजरात बनाने की कवायद की गयी तो जाहिर है कि देश गृहयुद्ध की लपटों से जल उठेगा, भीषण गृहयुद्ध बनकर सामने आयेगा। गुजरात में आतंवाद था लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में आतंकी हमले नहीं बल्कि दंगे होगें। हम जानते हैं कि गुजरात में जिस तरह आतंकी हमला किया गया था देश के दूसरे हिस्सों में ऐसा कर पाना मोदी के बस की बात नहीं हां गुजरात की तरह ही संघ लाबी और वर्दियां दोनों ही मुसलमानों का कत्लेआम करेंगी फिर भी गुजरात की तरह एक तरफा नहीं रहेगा कत्लेआम करने वालों को मरना भी होगा, यानी गुजरात जैसा आतंकवाद नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर दंगे होने की उम्मीद ही नहीं बल्कि विस्वास किया जा सकता है। ऐसे हालात में देश के सामने सबसे बड़ा संकट यह होगा कि सरकार फोजों को कहां इस्तेमाल करेगी ? सीमाओं पर या मुसलमानों को मारने के लिए देश के अन्दर। देश की सीमाओं से तीन दुश्मन लगे बैठे हैए चीन, नेपाल और पाकिस्तान। हमारी फौज की नज़र जिस तरफ से भी हटायी जायेगी उसी तरफ से दुश्मन देश घुसपैठ करेगा। चीन जो लगातार मौके की तलाश में है वह देश के हालात का पूरा फायदा उठा सकता है। वैसे भी चीनी सैनिक लगातार घुसपैठ की तांकझांक में लगे है कुछ हद तक तो घुस भी आये हैं ऐसे में यदि देश गृहयुद्ध की लपटों में जलने लगा तब तो पूरा पूरा मौका मिल जायेगा उन्हें ऊधर पाकिस्तान भी सीमाओं में प्रवेश करने में कामयाब होगा। संघ लाबी की योजना भी कुछ यही नजर आ रही है। आखिर बिल्ली की सोच से काम ले रही है आरएसएस लाबी, देश की सत्ता पर कब्ज़ा करके लूटखसोट करने का मौका न मिले तो बखेर दिया जाये। हां अगर भाजपा ने मोदी की जगह लालकृष्ण अडवानी, सुषमा स्वराज, यशवन्त सिन्हा आदि को प्रधानमंत्री पद के लिये पेश किया होता तब देश कांग्रेस के विकल्प के रूप में भाजपा को सत्ता के गलियारों में तफरी करने का मौका देने के लिए सोचता, खासतौर पर मुस्लिम वोट। मोदी को देश की सत्ता देकर पूरे देश को गुजरात जैसे आतंकवाद के हवाले करने की गलती मुसलमान तो दूर शरीफ और अमन पसन्द हिन्दू वोट भी नहीं करना चाहेगा। ऊधर आरएसएस
पोषित मीडिया धड़े भी अपने अपने स्तर से बेबुनियादी आंकड़े पेश करके मोदी की लहर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि आरएसएस लाबी मोदी को प्रधानमंत्री बनाये जाने के बाद होने वाले देश के हालात से वाकिफ नहीं है फिर भी जान बूझकर देश को गृहयुद्ध में ढकेलकर विदेशी गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है इस पर भी दावा यह कि राष्ट्रभक्त हैं, समझ में नहीं आता कि कैसे राष्ट्रभक्त हैं जो राष्ट्र को जलाकर गुलाम बनाने पर आमादा हैं। वैसे भी आरएसएस की देश भक्ती का सबूत एक निहत्थे बूढ़े बेगुनाह महात्मा गांधी को बेरहमी से कत्ल कर दिया जाना है ही। दरअसल आरएसएस लाबी को लगता है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर गुजरात की तरह ही पूरे देश में सरकारी व गैरसरकारी स्तर पर मुसलमानों का कत्लेआम करना आसान हो जायेगा, लेकिन गुजरात और पूरे भारत में बहुत फर्क है, पूरे भारत में आरएसएस के ये अरमान पूरे होने वाले नहीं। गुजरात में हालात अलग थे मुसलमानों की तादाद कम थी गुजरात में सरकारी ओर गैरसरकारी दोनो ही तरह से आतंकी नाच किया गया। हालांकि भारत के दूसरे हिस्सों में भी अर्धसैनिक बल मौका मिलते ही मुसलमानों पर हमले करते हैं, लेकिन फिर भी उतनी कामयाबी के साथ नहीं। कुछ मोदी उपासक तर्क देते हैं कि गुजरात की तर्ज पर विकास होगा, हम पूछना चाहते हैं कि क्या विकास हुआ, बस्ती की बस्ती कत्लेआम करके खाली कर दी गयी उनकी सम्पत्तियां लूटकर अपने धंधे चलाये गये इसे विकास कहा जाता है।

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