Friday 10 July 2015

अब गाय के बहाने साजिशें


बम धमाकों करके मुसलमानों को फंसाने सताने की कोशिशों के बाद लड़कियों को मोहरा बनाकर साजिशें रची गयी उसमें भी कामयाबी न मिलने के बाद अब गाय के बहाने साजिशें शुरू कर दी गयी। हाल ही में मध्य प्रदेश के निम्बाहेड़ा में मुस्लिम लड़को को फंसाने के लिए आरएसएस ने बछड़े का सिर काटकर मन्दिर में डाल दिया और आरएसएस लाबी की पुलिस ने कुछ ही देर बाद इलाके के मुस्लिमों पर आतंक बरपाना शुरू कर दिया। देश भर में बम धमाके कर करके सैकड़ों बेगुनाह मुसलमानों को फंसाने की कोशिशों को कुछ हद तक शहीद हेमन्त करकरे ने फ्लाप कर दिया, उस नेक दिल इंसान ने अपने इमान का सोदा न करके देश में किये जा रहे धमाकों के मामलों में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया, यह अलग बात है कि इकलौते इमानदार जांच अधिकारी को उसकी ईमानदारी की सजा भी आरएसएस ने जल्दी ही देदी। महान है अदालतों के नाम से मशहूर देश के फैसला कक्ष और व्यक्ति के धर्म, जाति, हैसियत, पावर, के हिसाब से काम करने वाले धर्म निर्पेक्षता के फर्जी लेबल में छिपा धर्माधारित कानून जिसने शहीद हेमन्त के असल कातिलों को तलाशने की कोशिश नहीं की, जो आरएसएस लाबी ने कहानी तैयार करके देदी उसी पर दौड़ गये देश के फैसला कक्ष (अदालतें)। बम धमाके कर करके मुस्लिमों को आतंकी घोषित करने की कोशिशों के बाद अपनी लड़कियों को मोहरा बनाकर मुसलमानों पर आतंक बरपाना शुरू किया लेकिन इसमें भी मुंह की ही खानी पड़ी, इनकी तमामतर बहन बेटियों ने साफ कर दिया कि उनके साथ कोई फरेब या धोका नही हुआ बल्कि वे खुद पूरे होशो हवास के साथ अपने प्रेमी के साथ आई है इस्लाम कबूल किया है। मामला चाहे मेरठ मदरसे को लेकर उछाला गया हो या बिहार और गोरखपुर में रचा गया हो, यह अलग बात है कि शुरू में लड़कियों को डरा धमकाकर उनसे ब्यान कराये गये हो इन झूठे ब्यानों को कराने और उछालने में पुलिस का बड़ा रोल रहा, पुलिस ने ब्यान लिये ब्यान लेने से पहले लड़कियों को जेल में महीनों सड़ने जैसे खौफ दिलाये फिर मनचाहे ब्यान लिखकर उन्हें उछाल दिया। जबकि ऐसे संवेदनशील मामलों में ब्यानों को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है लेकिन आरएसएस लाबी की पुलिस ने कानून का मुंह काला करते हुए फिजा बिगाड़ने की कोशिशें की। जबकि सच्चाई ये थीं कि सभी लड़कियां अपनी मर्जी से अपने प्रेमियों के साथ रह रही थीं। अपनी लड़कियों को मोहरा बनाकर मुस्लिम दुश्मनी भी फेल हो गयी तो अब नया मोहरा पकड़ा गाय। अब गायों उनके बच्चों को खुद काट काटकर मुस्लिमों को फंसाने की साजिशों की शुरूआत कर दी गयी है। अभी हाल में ही मध्य प्रदेश के निम्बाहेड़ा में एक आतंकी ने गाय के बछड़े का सिर काट कर मन्दिर के दरवाजे पर डाल दिया आरएसएस के इशारे पर इलाकाई पुलिस ने सीधे सीधें पांच मुस्लिम युवको को पकड़कर उनपर जमकर जुल्म ढाने शुरू कर दिये, भला हो उन हिन्दू भाईयों का जिन्होंने आरएसएस के सरकारी व गैरसरकारी गुण्डों की धमकियों को दरकिनार करके खुलेआम सच्चाई जाहिर करदी और ड्रामा रचने वाले आरएसएस कार्यकर्ता जीवन भामी को बेनकाब कर दिया, ऊधर न चाहते हुए भी पुलिस को जीवन भामी को हिरासत में लेना पड़ा। बस फिर क्या था कुछ घझटे पहले तक कुलांचे मारने वाले अपनी साजिश की पोल खुलते ही दुबक गये बिलों में। इसी तरह चार दिन पहले गुजरात के टापी जिले के एक इलाके में एक बरवार जाति के घर गाय का बछड़ा मर गया जिसे उसने करीब में ही सड़क किनार फेंक दिया कुछ ही टाईम बाद कुत्ते उसे खींचकर बाजार तक ले आये, बस मिल गया आतंकियों को मुसलमानों को आतंकित करने का मौका, गौरतलब बात यह है कि टापी का एसपी भी आरएसएस लाबी का ही है उसने इलाके में जाकर ऊपर नीचे का जोर लगाया कि यह मामला मुसलमानों पर लाद दिया जाये लेकिन हिन्दोस्तान में सभी आतंक के साथ नहीं है इसलिए जिसका बछड़ा था उसने ओर उसके आसपास के लोगों के साथ ही बाजार के कुछ दुकानदारों ने गुजरात के सरकारी आतंकी के बहकाने डराने धमकाने के बावजूद मामले को मुस्लिमों पर थोपने की एसपी की चाल को नाकाम कर दिया और सच को ही रहने दिया, इसी बीच दिल्ली से एक आतंकी ने एसपी नायक को फोन किया जिसमें उसने आतंक मचाने का चैलैंज देते हुए एसपी को 24 घण्टे का टाईम दिया इस पर एसपी गिड़गिड़ाने लगा और कहने लगा कि "उन कुत्तों (मुसलमानों) ने किया होता तो मैं उन्हें घर से खींच खींचकर....... करता।", एसपी ने अपनी बातचीत में अपनी सच्चाई कबूलते हुए कहां कि  "सूरत का मामला देखों, कैसे मैंने एके 47 से फायरिंग करके भूना" उसने फोन करने वाले आतंकी से यह भी कहा कि  "सर जी किसी को पता न लगे कि मैं आरएसएस का आदमी हूं।" इससे यह तो साफ हो गया कि गुजरात में अभी भी सरकारी तौर पर भी मुसलमानों के खिलाफ आतंक चल रहा है। हाल ही में उ0 प्र0 के महोबा में गाय के बछड़े को या तो कहीं चोट लगी या फिर गुण्डों ने खुद उसे जख्मी करके उसके बहाने जमकर आतंक फैलाया और मुसलमानों की दर्जनों दुकानों को आग लगादी, यह आतंक पुलिस की मिली भगत से किया गया, सीओ समेत भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मुसलमानों पर आतंकी हमला किया गया। गुजरी 30 जून को उ0प्र0 के शामली में एक गुण्डे ने पहले अपने घर वालों से चुराकर गाय का बछड़ा बेच दिया फिर घर वालों से बचने और अपनी पुरानी रंजिश निकालने के लिए एक बछड़ा चोरी का आरोप लगाकर इलाके के गुण्डों के साथ मिलकर मुस्लिम युवक पर हमला कर दिया।
आरएसएस लाबी के साथ साथ आरएसएस के टुकड़ों पर पल रहे सरकारी अमले का आतंक दिन बा दिन बढ़ता ही जा रहा है। और हो भी क्यों नहीं सभी जानते है कि अब कोई दूसरा हेमन्त करकरे नहीं आने वाला और रही बात अदालत नामी इमारतों की तो वे भी आरएसएस को खुश रखने में लगी नजर आ रही है सबूत के लिए अफजल गुरू का मामले में सुप्रीम कोर्ट के वाक्य और उसके बावजूद अफजल गुरू को कत्ल करा दिया जाना ही काफी है। यही वजह है कि मुसलमान के खिलाफ कोई भी आतंकी आसानी से कुछ भी बोल देता है कुछ भी कर देता है। ईवीएम के चमत्कार से मोदी सरकार बनने के साथ ही आतंकियों के अच्छे दिन आने लगे। फेसबुक, व्हाट्सअप जैसी सोशल मीडिया साईटों पर जमकर आतंकी धमकियां और गुण्डई की छूट रहती है
अकबर ओवैसी बोलता है तो जज साहब को यूट्यूब देखने का शौक हो जाता है लेकिन देश में धमाके करने वाले बोलते है तो बेचारे जज साहब इन्टरनेट चलाना भूल जाते है। हम बात कर रहे थे गौ-वंश हत्या की, तो सबसे पहले तो यह जानने जरूरी है कि जो मुसलमान गाय खाते है क्या उनको इस्लाम इसकी इजाजत देता है ? भारत में गाय कानून और हिन्दू समुदाय की नजर से बचाकर काटी जाती है जोकि पूरी तरह से चोरी है। इस्लाम में चोरी की कतई इजाजत नहीं, चोरी किसी की भी हो चाहे किसी इंसान की हो या कानून, समाज की। इस्लाम में चोरी को हराम करार दिया गया है और इस्लामी कानून के मुताबिक हिन्दोस्तान की सरहदों के अन्दर गाय खाना कतई हराम
है, इसलिए गाय काटने खाने वालों को सख्त से सख्त सजा बल्कि सजाये मोत दिया जाना चाहिये। कानूनन गाय का काटा जाना तो हमेशा से जुर्म था लेकिन गौ रक्षा के बहाने सिर्फ मुस्लिम व्यापारियों को लूटने उनपर आतंक बरपाने का फार्मूला गुजरे कुछ साल से शुरू हुआ ओर इसे शुरू किया भाजपा के टिकट पर उ0प्र0 के पीलीभीत से सांसद चुने जाने के बाद मेनका गांधी ने। गाय हिन्दू धर्म में पूजी जाती है इसकी हिफाजत करना जरूरी है अगर लोग इसकी हिफाजत की बात करते तो बहुत ही ठीक करते, लेकिन यहां तो सिर्फ मुस्लिम व्यापारियों को लूटने, मुसलमानों पर आतंक बरपाने के लिए ही गाय का प्यार और सम्मान हो रहा है पूरे देश में देखा जाता है कि गौ रक्षा के नाम पर मुसलमानों पर आतंक बरपाने वाले ही गायों पालते हैं सुबह को दूध निकालकर छोड़ देते हैं दो चार रूपये का दाना घास बेचारी बेजुबान को नहीं खिलाते। बेजुबान जानवर बेचारी क्या करे कैसे जिये कौन भरे उसका पेट। समझ नहीं आता कि ये कैसे गौमाता के पुत्र हैं जो अपनी माता को घर में रखकर नही पालते, कैसे पुजारी है जो पूज्य की सेवा नही करते, उसे गन्दगी खाकर जीने के लिए छोड़ देते हैं, जरा भी शर्म नही आती इन गौ-भक्तों को। क्या दूध निकालने तक का ही प्रेम है। दरअसल कोई सच्चा गौभक्त है ही नही सारी गौभक्ति, सारा गौ प्रेम सिर्फ मुसलमानों पर आतंक बरपाने के लिए ही है। 

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