Monday 12 November 2012

इनसे क्यों कांप रही है केन्द्र सरकार



अभी कुछ दिन पहले की ही बात है जब बरमा और असम में आतंकी बेगुनाह मसलमानों का कत्लेआम कर रहे थे और आतंकियों की इन करतूतों की तस्वीरें विश्वस्तरीय मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंची उसपर सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आलोचनायें होने लगी तो इन आलोचनाओं से सबसे ज्यादा परेशानी और तकलीफ सोनिया नामक रिमोट से चलने वाली मनमोहन सिंह की कांग्रेस बाहुल्य केन्द्र सरकार को पहुंची। मुसलमानों के कत्लेआम की आलोचना या मुसलमानों की कर्राहट से सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को तकलीफ पहुंचना भी चाहिये कयोंकि यह वही मनमोहन सरकार है जिसने कुर्सी मिलने के साथ ही गुजरात आतंकवादियों के हाथों किये गये बेगुनाह मुसलमानों के कत्लेआम पर खुश होकर गुजरात आतंकवाद के मास्टर माइण्ड को सम्मान व पुरूस्कार दिया। साथ ही कई आयोगों की रिपोर्टों को दबाकर इस मास्टरमाइण्ड को आजतक अभदान भी दे रखा है।
बरमा और असम आतंक की आलोचनाओं पर मनमोहन सिंह सरकार ने कूदना शुरू कर दिया सोशल नेटवर्किंग साईटों पर रोक लगाने के लिए भी हाथ पैर फेंके लेकिन आज जब कि फेसबुक जैसे साईट पर कुछ आतंकी दल्ले खुलेआम आतंक की धमकियां लिख रहे है। मुसलमान और इस्लाम के लिए अपशब्दों का प्रयोग करके अपने गन्दे खून और नसल का परिचय दे रहे है तो मनमोहन सिंह सरकार के कान तले जंू नहीं रेंग रही। इसका एक ही कारण है कि ये सब नीचता से केन्द्र सरकार को खुशी मिल रही है हमें तो यह भी लगता है कि ये आतंकी केन्द्र सरकार की इच्छा पर ही अपनी तुच्छ नसल का परिचय दे रहे हैं। इसका सबसे बड़ा सबूत यह ही है कि लगभग महीने भर से आतंकी देश का तबाह करने की खुलेआम धमकियां लिख रहे है और आजतक इसपर केन्द्र सरकार के कान तले जूं नहीं रेंगी। साथ ही अमरीका और गुजरात के एजेंन्ट मीडिया के उन धड़ों को भी ये धमकियां नहीं चुभ रही जिनके पास कश्मीर से ईमेल आती हैं जो तमाम धमाकों की आवाजें सुनने से पहले ही धमाका करने वालों के नाम बताने के एक्सपर्ट है।
अगर केन्द्र सरकार और मीडिया के कथित धड़ों की चुप्पी को बारीकी से देखा जाये तो इनका दुम दबाये रखना जायज है क्योंकि सभी को अपनी जान बचाने का हक है अगर इन आतंकियों की धमकियों के खिलाफ मुंह खोला तो हो सकता है कि शहीद हेमन्त करकरे जैसा हाल हो। हेमन्त करकरे ने देश के असल आतंकियों को बेनकाब किया तो उनकी हत्या कर दी गयी उसका इलजाम भी कस्साब के सिर मंड दिया गया।
हमें तो उन मुसलमानों पर शर्म आती है जो आज भी चन्द टुकड़ों के लिए अपना इमान बेचकर आतंक परस्त कांग्रेस के साथ है।