Sunday 9 June 2013

लालबत्तियां-लैपटाप डुबोएगे सपा की नैया

         
उ0प्र0 की पूर्व मुख्यमंत्री ने सूबे की गुलाम जनता की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को अपनी मनमानी करते हुए पत्थरों पर लुटाया। मायावती के हाथों गुलामों की कमाई को पत्थरों पर लुटाये जाने की करतूत पर समाजवादी पार्टी रात दिन चीखती चिल्लाती रही, सपा मुखिया ने बार बार कहा कि  "पैसा जनता का है इसे जनता पर ही खर्च किया जाना चाहिये"। सपा की बयानबाजी से लग रहा था कि गुलामों का हमदर्द सपा और मुलायम सिंह से ज्यादा कोई है ही नहीं। लेकिन अब जब कि मुलायम सिंह के ही इशारों पर चलने वाली खुद उनके बेटे अखिलेश यादव की सरकार है यानी वर्तमान में अखिलेश याद व ही  "यूपी नरेश"  हैं और सूबा उनकी मिलकियत है। मायावती ने गुलामों की गाढ़ी कमाई को पत्थरों पर ठिकाने लगाया तो अखिलेश यादव लालबत्तियों, लैपटाप और टैबलेट के बहाने मायावती की राह पर चल रहे हैं। पूर्व और वर्तमान में एक बड़ा फर्क यह है कि जब मायावती के हाथ थे खजाने को मनमाने ढंग से खाली करने के काम में, और आज खुद मुलायम के बेटे के हाथ हैं शायद यही वजह है कि आजमुलायम सिंह को न तो जनता के गाढ़ी कमाई की चिन्ता सता रही न ही जनता के पेसे को जनता के विकास पर खर्च करने का तर्क याद आ रहा है। खैर फिलहाल तो उत्तर प्रदेश मुलायम परिवार की ही मिलकियत है शाही खजाना उनकी सम्पत्ति है उनको अधिकार है कि वे अपनी सम्पत्ति को जो मन चाहे करें गुलाम जनता को एतराज करने का अधिकार ही नहीं, आखिर पूरे भारत वासियों के नसीब में ही गुलामी है कभी विदेशियों का गुलाम बनकर रहना तो कभी देसियों की गुलामी में रहना।
यूपी नरेश अखिलेश यादव आगामी 2014 के लोकसभा चुनावों पर निशाना साधें हुए हैं। दरअसल अखिलेश यादव को लगता है कि मुस्लिम वोटों के सौदागरों को लालबत्तियां देकर मोटी कमाइयां करने के मोके दे देने से या लैपटाप, टैबलेट बांट देने से ही गुजरे विधान सभा चुनावों के हालात लोकसभा चुनावों में भी दोहराये जायेंगे, तो यह अखिलेश यादव की सबसे बड़ी भूल है। सबसे पहले बात करें चने मूंफलियों की तरह बांटी जा रही लालबत्तियों की। अखिलेश यादव को लगता है कि एक ही दरगाह से जुड़े लोगों को कई कई लालबत्ती दे देने से सूबे और देश का मुस्लिम वोट थोक भाव में समाजवादी पार्टी के खाते में आ जायेगा, जबकि हकीकत यह है कि कुछेक लालबत्तियां सपा की नैया डुबोने के लिए काफी हो गयी हैं। मुसलमान खुद कई टुकड़ों में बांट दिया गया है बरेली की एक ही दरगाह के दो लोगों को लालबत्ती की कमाई को मौका दिये जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का 90 फीसद से ज्यादा मुस्लिम वोट सपा के खाते से कट गया क्योंकि इन मुसलमानों के बीच कभी खत्म न होने वाला मतभेद पैदा किया गया है सोचिये कि अगर पुर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी द्वारा मुस्लिमों के हक के लिए और दुनिया के सबसे बड़े आतंकी के खिलाफ तर्क संगत बात करने पर तौकीर रजा को फिरका परस्ती के चलते एतराज हो सकता है तोकीर रजा द्वारा हाजी याकूब कुरैशी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की जा सकती है तो क्या आज  हाजी याकूब या उनके वर्ग के मुसलमानों को अखिलेश यादव की तोकीर रजा से करीबी का एतराज नहीं होगा? होना भी चाहिये तर्क संगत बात है। इस तरह से समाजवादी पार्टी को पूरे पश्चिमी उ0प्र0 में मुस्लिम वोटों का जबरदस्त नुकसान होना तय है, यही हालात लगभग पूरे सूबे में दिखाई पड़ रहे हैं। अब अगर सुन्नी वहाबी देवबन्दी शिया फिरकों के अलावा सिर्फ सुन्नियों की ही बात करें तो यहां हालात यह हैं 75 फीसद मुस्लिम वोट सपा से कट चुका है जिसकी तस्वीर 2014 में विश्व भर के सामने आ जायेगी। दरअसल मुसलमानों के सुन्नी फिरके में भी बड़े पैमाने पर तिफरका डाला जा चुका है, तमाम खानकाहों को नीचा दिखाने की कोशिशों के नतीजे में लगभग सभी खानकाहें और इनसे तआल्लुक रखने वाले मुसलमान इनसे दूरी बना चुके हैं ऐसे में  तौकीर से सपा की घुसपैठ दूसरी खानकाहों से जुड़े मुसलमानों को सपा से दूरी बनाने पर मजबूर कर चुकी है। कुल मिलाकर अखिलेश यादव द्वारा बांटी जा रही लालबत्तियां ही सपा के पतन का कारण बनेंगी, वह दिन दूर नहीं जब समाजवादी पार्टी सूबे साथ साथ देश भी में उसी स्थान पर खड़ी नजर आयेगी जहां 1992 के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पड़ी है।
आइये अब बात करें अखिलेश यादव द्वारा बांटे जा रहे लैपटाप और टैबलेट की। इसमें सबसे पहले सवाल यह पैदा होता है कि कितने छात्रों की माली हालत इस काबिल है जो वे लैपटाप या टैबलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं ? इस बात की क्या गारन्टी है कि जिन छात्रों को लैपटाप या टैबलेट दिये जा रहे हैं वे खुद इस्तेमाल करेंगे या उन्हें उससे क्या लाभ होगा ? कितने छात्रों की माली हालत ऐसी है जो 300 से 500 रूपये मासिक पर कम्पूटर कोंिचग करके लैपटाप चलाना सीख लेंगे ? कितने छात्रों के घरों पर सरकार ने बिजली की सुविधा देदी है जिससे वे अखिलेश यादव के लैपटाप की बैट्रियां चार्ज कर सकेगे ? क्या लैपटाप या टैबलेट से रोटी निकलेगी जिससे छात्रों का पेट भर सके ? हम यह बात दावे के साथ कह सकते हैं कि न तो लैपटाप या टैब्लेट से रोटी डाउनलोड होगी, और न ही 60 फीसदी बच्चों की माली हालत इस काबिल है जो कम्पूटर कोचिंग जाकर कुछ सीख सकें, आज भी 70 फीसदी छात्र ऐसे गांवों में रहते हैं जहां बिजली का नामो निशान तक नहीं है, 50 फीसदी छात्र ऐसे है जिन्हें मिलने वाले लैपटाप का इस्तेमाल उनके परिजन करेंगे ऐसे में साफ है कि करोड़ों रूपये पर पानी फेरकर दिये जा रहे लैपटाप या टैबलेट का 0.1 फीसद भी लाभ छात्रों को नहीं मिलने वाला। अगर यह मानें कि छात्रों को कोई फायदा हो या न हो कम से कम सरकार या सपा को तो फायदा होगा तो यह हमारी गलतफहमी के सिवा कुछ नहीं क्योंकि सपा को सफाये से बचाया नहीं जा सकता। सिर्फ मुस्लिम वोटों के सौदागरों को लालबत्ती देकर मोटी कमाई के मौके दे देने से ही सारा मुस्लिम वोट नहीं मिलने वाला बल्कि अखिलेश यादव की ये ही लालबत्तियां सपा की नैया को डुबोयेगी साथ ही गुलामों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को मनमाने तरह से उड़ाने का फार्मूला भी समाजवादी पार्टी का पत्ता साफ करने की तैयारी में है।
(इमरान नियाजी-09410404892)