Monday 4 December 2023

 


2004-05 के कर्मो का सज़ा भुगत रही है कांग्रेस -इमरान नियाज़ी



1948 से 2014 के बीच लगातार 59 साल 07 दिन तक देश की सरकारों पर कब्ज़ा जमाये रखने वाली कांग्रेस। 1048 से ही मुसलमानों के बल बूते सरकारों में कांग्रेस का कब्जा जमा रहा। लेकिन कांग्रेस ने मुसलमानों को सिर्फ और सिर्फ धोका ही दिया। 1947 से ही देश का मुसलमान कांग्रेस का पटटा पहनकर पालतू बना रहा। 1948 से 1978 तक कांग्रेस ने अपने पालतुओं को सिर्फ दरी बिछवाने और नारे लगवाने के काम में लिया। कभी सरकार में हिस्सेदारी देने या सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन देने की भूल नहीं की। 1948 से कांग्रेस ने कई रेजीमेन्ट का गठन किया, लेकिन भूलकर भी मुस्लिम रेजीमेन्ट जैसी इकाई का गठन नहीं किया। 70 के दशक में इन्दिरा गांधी ने मुसलमानों की आबादी कन्ट्रौल करने के लिए जबरन नसबन्दी का खेल शुरू किया। इसके जवाब में 1978 के आम चुनाव में खुद इन्दिरा गांधी की जमानत भी ज़ब्त हो गई। इन्दिरा गांधी ने घड़ियाली आंसू बहाये और बरेली के एक दाढ़ी वाले को एमएलसी की कुर्सी और मोटी रक़म के बदल कांग्रेस का पटटा पहनाकर मुस्लिम को बड़गलाने के काम पर लगा दिया, साथ ही खुद भी मुसलमानों के सामने घड़ियाली आंसू बहाये। अमन पसन्द कौम ने इन्दिरा गांधी पर एक बार फिर यकीन कर लिया और इन्दिरा गांधी को वापिस सत्ता तक पहुंचा दिया। सत्ता में वापिस आते ही कांग्रेस ने भस्मासुर बनने में वक्त नहीं लगाया और 1980 में यूपी के मुरादाबाद में पीएसी /पुलिस के हाथों मुसलमानों का ना सिर्फ कत्लेआम कराया बल्कि मुसलमानों के घरों को और आबरूओं तक को लुटवाया। इन्दिरा गांधी के कत्ल के बाद राजीव गांधी को कब्जा मिलते ही राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद में मूर्ती रखवाई पुजा शुरू करादी। नतीजा यह कि राजीव गांधी को भी सड़क पर पहुंचा दिया। इस दौरान राजीव गांधी की दर्दनाक मोत के चलते एक बार फिर मुसलमानों को कांग्रेस पर दया आ गई और लगभग 15 साल बाइ 2004 में एक बार फिर कांग्रेस को सत्ता में पहुंचा दिया, मुसलमानों को लगा कि पन्द्रह साल तक बेरोज़गार फिरने से शायद सोनिया राहुल प्रियंका में कुछ सुधार आया होगा। लेकिन यह मुसलमानों की सबसे बड़ी भूल थी। लेकिन इस बार सोनिया गांधी के रिमाट से चलने वाली कांग्रेस सरकार ने अहसान फरामोशी की सारी हदें तोड़ दी। गुजरात आतंक से गदगद हुई कांग्रेस ने सरकार में पहुंचते ही एक साल के अन्दर ही गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को ना सिर्फ सम्मानित किया पुरूस्कार दिये बल्कि ‘‘नानावटी आयोग’’ की रिपोर्ट को ही दफना दिया।

यह और बात है कि कुछ मुर्दा ज़मीर मुसलमान आज भी राहुल के ही उपासक बने हुए हैं, लेकिन इनकी हेसियत नहीं कि राहुल गांधी को प्रधान मंत्री बनवा सकें। क्योंकि बेकसूरों का खून रंग तो लाता ही रहेगा।

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