Thursday 28 March 2013

रंगे पुते लोग देखना पसन्द नहीं आज़म को

त्योहार पर बन्द कराया रास्ता-परेशान हुए होली पर घूमने वाले
बरेली-होली के ठीक दूसरे दिन यानी आज यूपी नरेश दरबार के मंत्री मो0 आज़म खान बरेली मोहल्ला सौदागरान स्थित दरगाह पहुंचे। आज़म खान की यह यात्रा किसी धार्मिक उद्देश्य से न होकर पूरी तरह राजनैतिक थी आज़म खां को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और यूपी नरेश अखिलेश यादव ने सपा की गिरती साख को बचाने की कोशिश के तहत दरगाह भेजा। दरअसल लगभग सभी राजनैतिकों को यह गलत फहमी है कि दरगाह पर चादर चढ़ा देने या दरगाह से जुड़े किसी भी व्यक्ति को लालबत्ती दे देने से देश प्रदेश का सारा मुस्लिम वोट उनकी जागीर बन जायेगा। खैर बात है आजम खां के आज होली त्योहार के ठीक अगले ही दिन बरेली आगमन और बिहारीपुर ढाल से मलूकपुर चैकी तक का पूरा रास्ता गुलाम जनता के लिए वर्जित किये जाने की। आजम खां के दरगाह आने से आधा घण्टा पहले से लेकर वापिस जाने तक लगभग डेढ़ घण्टा तक यह पूरा मार्ग गुलाम जनता के गुजरने के लिए वर्जित कर दिया गया था, लेकिन यह नफरत और प्रवेश निषेध वर्दीधारियों पर लागू नहीं थी। अगर इस मार्ग पर बिहारीपुर ढाल मन्दिर और मस्जिद बीबी जी पर गुलामों को गुजरने से रोकने के लिए तैनात पुलिस वालों की माने तो साफ हो जाता है कि आजम खां ने ही हुक्म दिया था कि उनके रास्ते में कोई होली के रंगों से रंगा पुता व्यक्ति दिखाइ्र नही देना चाहिये। ये बात गुलाम जनता को इस मार्ग पर कदम रखने से रोक रहे पुलिस कर्मियों ने खुद अन्याय विवेचक प्रतिनिधि से कही, पुलिस कर्मियों का कहना था कि मंत्री जी का आदेश है कि त्योहार का मामला है लोग सड़कों पर घूम फिर रहे है लेकिन मेरे आते जाते समय कोई दिखाई नहीं देना चाहिये। पुलिस कर्मियों की मजबूरी तो थी उनकी नौकरी, लेकिन यहां तो आजम खां के खौफ से भाजपा और आरएसएस के वे नेता भी थर थर कांपते नजर आये जो मामूली से मामूली बात पर खुराफात और बखेड़ा खड़ा करने के एक्सपर्ट हैं। त्योहार के दिन मार्ग अवरूध किये जाने की बाबत अन्याय विवेचक ने भाजपा एंव हिन्दू जागरण मंच के कुछ नेताओं से उनका रूझान जानना चाहा तो वे  सिर्फ इतना कहते दिखे कि  "भाई फिलहाल आजम पावर में है तो मनमानी ओर हिटलरी चलेगी ही"।
अब सवाल यह पैदा होता है कि आजम खां ने त्योहार के अवसर पर जब लोग होली मिलने अपनी
नातेदारों सम्बन्धियों के यहां आते जाते है ऐसे में रास्ता बन्द कराया अगर इस बात को लेकर हिन्दू संगठन बिखर जाते और शहर जल उठता तो इसका जिम्मेदार कौन होता? जब आजम खां को रंगे पुते लोग देखना पसन्द नहीं हैं तो होली के अगले ही दिन आने की क्या जरूरत थी ? क्या दरगाह पर हाजिरी देकर या दरगाह से जुड़े लोगों से सौदे करके सपा आगामी लोकसभा में अपनी गिरती साख को बचा पायेगी ? हम पहले भी बता चुके है कि किसी दरगाह से जुड़े लोगों को लालबत्तियां बाट कर सपा कुछ हासिल करने वाली नहीं है लेकिन अखिलेश यादव ने भी मायावती का फार्मूला आजमाने की कोशिश की है जबकि यह सच किसी से छिपा नहीं है कि आगामी लोकसभी में तो जो सफाया होगा तो होगा लेकिन अगली विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को छब्बीस सीटे भी मिलना मुश्किल ही नही बल्कि ना मुम्किन नजर आ रहा है। और सोने पर सुहागा आजम खां का होली के अगले ही दिन बरेली आना साथ ही होली के रंगों से रंगे लोगों को देखना पसन्द न करना, समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार की लुटिया डुबोने के लिए काफी हैं।
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