बरेली पुलिस को दुपहिया वाहन चालकों की जान की परवाह नहीं बल्की फड़ों पर 100 से 200 रूपये की कीमत में बेचे जा रहे हैल्मेट बिकवाने की चिन्ता है।
ये फड़ों पर बिकवाये जा रहे हैल्मेट जो हाथ से छूटकर अगर गिर जाते हैं तो टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं,
अब सोचिये कि जो हैल्मेट गिरने से ही टूट जाता हो वह इंसान के सिर को क्या बचा पायेगा।
कारण यह कि दुपहिया वाहन वाले पुलिस की ‘‘आजादी सुविधा’’ के नियमित उपभोक्ता नहीं है जैसे कि थ्री व्हीलरए डग्गामार जीपे आदि है जिन्हें पुलिस मनचाही ओवर लोडिंग करने, तीव्र गति से दौड़ने, मनमर्जी जगह पर रूककर सवारियां भरने के साथ साथ फिटनैस कराने से भी छूट देती है।
अगर दुपहिया वाहन भी पुलिस की इन सुविधाओं के नियमित उपभोक्ता बन जावे तो उन्हें भी छूट मिल सकती है।
ऊपर दी गयी तस्वीरों को देखिये जीपो और टैम्पुओं पर किस तरह बाहर तक सवारियां लटकी है पुलिस भी मौजूद है लेकिन किसी को हैल्मेट की याद नहीं आरही, ऐसा लग रहा है कि मानों जीपों, टैम्पुओं के पीछे लटक कर चलने वालीसवारियों के जीवन की गारन्टी पुलिस ने ले रखी है।
बरेली जहां बीस किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल पाना पहाड़ ढाने जैसा है वहां दुपहिया
सवारों की जाने की चिन्ता एसपी यातायात को है और उनकी इच्छा है कि सुरक्षित रहे वह भी जगह जगह फड़ों पर बिकवाये जा रहे नकली हैल्मेटों से।
भारत में खादी और खाकी को छोड़कर हर आदमी गुलाम है इस लिए गुलामों को जैसा चाहे नाच नचा लें।
ये फड़ों पर बिकवाये जा रहे हैल्मेट जो हाथ से छूटकर अगर गिर जाते हैं तो टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं,
अब सोचिये कि जो हैल्मेट गिरने से ही टूट जाता हो वह इंसान के सिर को क्या बचा पायेगा।
कारण यह कि दुपहिया वाहन वाले पुलिस की ‘‘आजादी सुविधा’’ के नियमित उपभोक्ता नहीं है जैसे कि थ्री व्हीलरए डग्गामार जीपे आदि है जिन्हें पुलिस मनचाही ओवर लोडिंग करने, तीव्र गति से दौड़ने, मनमर्जी जगह पर रूककर सवारियां भरने के साथ साथ फिटनैस कराने से भी छूट देती है।
अगर दुपहिया वाहन भी पुलिस की इन सुविधाओं के नियमित उपभोक्ता बन जावे तो उन्हें भी छूट मिल सकती है।
ऊपर दी गयी तस्वीरों को देखिये जीपो और टैम्पुओं पर किस तरह बाहर तक सवारियां लटकी है पुलिस भी मौजूद है लेकिन किसी को हैल्मेट की याद नहीं आरही, ऐसा लग रहा है कि मानों जीपों, टैम्पुओं के पीछे लटक कर चलने वालीसवारियों के जीवन की गारन्टी पुलिस ने ले रखी है।
बरेली जहां बीस किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल पाना पहाड़ ढाने जैसा है वहां दुपहिया
सवारों की जाने की चिन्ता एसपी यातायात को है और उनकी इच्छा है कि सुरक्षित रहे वह भी जगह जगह फड़ों पर बिकवाये जा रहे नकली हैल्मेटों से।
भारत में खादी और खाकी को छोड़कर हर आदमी गुलाम है इस लिए गुलामों को जैसा चाहे नाच नचा लें।
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