Wednesday 23 May 2012

नौ महीने में भी पूरी न हो सकी प्रमुख सचिव की कुछ देर

       बरेली-‘‘अफसर सरकारी तो वायदा भी सरकारी ही होगा’’। जी हां यह कहावत साकार हुई बरेली में, लगभग नौ महीने गुजरे कि पूर्व मुख्यमंत्री के दूत बनकर प्रमुख सचिव नेतराम बरेली आये। पहले की तरह ही सीएम औेर सीएम के दूतों के नक्शे कदम पर चलते हुए नेतराम ने भी जिला अस्पताल पहुंचकर पूरे जिले के हालात का जायजा लिया। प्रमुख सचिव के आने की खबर सुनकर जिला अस्पताल में मौजूद ‘सुलभ शौचालय’ के नाम वाले शौचालय के सफाई कर्मी राजा की पत्नी भी अपने दो वर्षीय पुत्र शीबा को लेकर प्रमुख सचिव के सामने पेश हो गयी। बच्चे के जन्म से ही दोनो हाथ नहीं है उसके मां बाप चाहते है कि बच्चे को सरकार से कुछ मदद मिल जावे। दलितों की ठेकेदारी करने वाली पूर्व सीएम के दूत ने इस दलित मासूम को देखा, कुदरत के करिश्मे पर अचम्भा जताते हुए बच्चे की हालत पर दुख जताते हुए बच्चे के मां-बाप से कहा कि ‘कुछ देर ठहरो कुछ करेगें, अभी बुलवाऊंगा आपको’, बस उसके बाद से आजतक बच्चे के माता पिता प्रमुख सचिव के बुलावे का इन्तेजार ही कर रहे हैं ओैर दलित ठेकेदारी की सरकार ठिकाने लग गयी लेकिन प्रमुख सचिव की कुछ देर अभी पूरी नही हो सकी।इसमें प्रमुख सचिव की भी कोई कमी नहीं। कमी है उनकी कुर्सी की, वे जिस कुर्सी पर बैठे हैं वह उनकी अपनी नहीं बल्कि सरकारी है। सरकारी कुर्सी पर बैठकर सरकारी काम तो करना ही पड़ता है और सरकार का मुख्य काम होता है सिर्फ वादा करना, फिर टांयटांय फिस्स..... (फोटो व कवरेज-एम. के. अली)


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