Tuesday 29 May 2012

माज़ा मतलब ‘‘कूड़े’’ का रस


गर्मी की तेजी के साथ ही कोल्ड ड्रिंक का कारोबार भी शबाब पर आ चुका है लोग गर्मी से कुछ राहत पाने के सपने के साथ ही माजा, फैन्टा, पेप्सी पीने लगते हैं लेकिन उन्हें नही पता कि वे जिसे ठण्डा समझकर पी रहे हैं वह असल में कूडे कचरे का जूस है। बरेली की एक कोल्ड ड्रिंक की दुकान पर माजा, फैन्टा की धड़ल्ले से बिक्री होती है। 
 गुजरी 10 मई को जब अन्याय विवेचक के दो पत्रकार ठण्डा पीने के लिए उस दुकान पर पहुंचे और माजा व फैण्टा की एक एक बोलत मांगी। दुकानदार फ्रिज से बोतले निकाल कर खोलने ही वाला था कि पत्रकार कामरान अली की नजर दुकानदार के हाथ में मौजूद माजा की बोतल पर पड़ी जिसमें कुछ पड़ा दिखाई दिया। तुरन्त ही फैन्टा की बोतल देखी तो उसमें भी कूड़ा मौजूद था। पत्रकारों ने दोनो बोतले खरीद ली और फैक्ट्री से सम्पर्क किया। पत्रकारों के सवालों से घिरी फैक्ट्री अजय नामक व्यक्ति ने पत्रकारों से मुलाकात की तथा दोनो बोतले देखीं। अजय जो कि स्ंवय को सप्लाई आफीसर बता रहा था उसने दोनों पत्रकारों से लेनदेन कर मामला दबाने का प्रयास किया। इसपर पत्रकारों ने मुख्य खादय निरीक्षक व सिटी मजिस्ट्रेट से बात की। मु0खा0नि0 ने पत्रकारों को सलाह दी कि फैक्ट्री से सौदा कर लें। ऊधर सिटी मजिस्ट्रेट इस तरह के जनहित जैसे छोटे मामला में पड़कर समय नष्ट करना नहीं चाहते।
दूसरी तरफ अन्याय विवेचक के पास पैप्सी की एक बोतल भी सुरक्षित है जिसमें पीतल की राड पड़ी है पैप्सी के सप्लाई आफीसर का कहना है कि फैक्ट्री से रोजाना लाखों बोतल तैयार होती है किसी बोतल में कुछ गिर जाये तो इसे इतना गम्भीर नही समझना चाहिये।
दरअसल फैक्ट्रियां मजबूत है सम्बन्धित अधिकारियों की महरबानियों पर। बोतलों में कुड़ा देखने के बाद भी मु0खा0नि0 या सिटी मजिस्ट्रेट के कान तले जूं नहीं रेंगी।

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