सूबे में जब जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तब तब पुलिस ने गुलाम जनता से बेगार कराने को अपना अधिकार मान लिया। बीच में पांच साल मायाराज राज रहा तो कम से कम गुलाम जनता पुलिस की बेगार करने से बची रही। अब फिर सपा सरकार में आ गयी तो पुलिस ने गुलामों से बेगार करानी शुरू कर दी।
आज बरेली में तैनात एक पुलिस अफसर के किसी रिश्तेदार की मौत हो गयी उसके रिश्तेदारों को शमशान भूमि तक जाना था गर्मी बहुत थी ऊपर से शमशान भूमि की दूरी भी ज्यादा थी। जिसका रिश्तेदार पुलिस अफसर हो तो वे पैदल क्यों चलें, यह और बात है कि अपनी कार खरीदने की हैसियत नहीं है। लेकिन एक रिश्तेदार पुलिस अफसर हो तो गाडि़यों की लाईन लगना तसय है वह भी बिल्कुल फ्री में। बस क्या देर थी कोतवाली वायरलैस आया सिपाही दौड़े ओर टैक्सी स्टैण्ड पर खड़ी कारों को ले गये कोतवाली वहां से गुलामों को मालिकों की खिदमत में पहुंचकर सेवा करने का आदेश मिला। बेचारे गुलाम लोग। भारत में रहना ही है तो देश की मालिक वर्दी के हुक्म को कैसे टाल सकते हैं। सुबह से शाम तक कराई गयी बेगार।
आज बरेली में तैनात एक पुलिस अफसर के किसी रिश्तेदार की मौत हो गयी उसके रिश्तेदारों को शमशान भूमि तक जाना था गर्मी बहुत थी ऊपर से शमशान भूमि की दूरी भी ज्यादा थी। जिसका रिश्तेदार पुलिस अफसर हो तो वे पैदल क्यों चलें, यह और बात है कि अपनी कार खरीदने की हैसियत नहीं है। लेकिन एक रिश्तेदार पुलिस अफसर हो तो गाडि़यों की लाईन लगना तसय है वह भी बिल्कुल फ्री में। बस क्या देर थी कोतवाली वायरलैस आया सिपाही दौड़े ओर टैक्सी स्टैण्ड पर खड़ी कारों को ले गये कोतवाली वहां से गुलामों को मालिकों की खिदमत में पहुंचकर सेवा करने का आदेश मिला। बेचारे गुलाम लोग। भारत में रहना ही है तो देश की मालिक वर्दी के हुक्म को कैसे टाल सकते हैं। सुबह से शाम तक कराई गयी बेगार।
No comments:
Post a Comment