Tuesday 1 January 2013

2002 के आतंक के खौफ और कांग्रेस से नफरत का नतीजा है मोदी की जीत-इमरान नियाजी


गुजरात में तीसरी बार मोदी को कुर्सी मिलने को लेकर मीडिया और मुस्लिम विरोधी बड़े ही खुश नजर आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि मानों यह जीत मोदी की शख्सियत की जीत हो। जबकि सच यह है कि यह जीत और 2007 के चुनावों की जीत मोदी की लोकप्रियता की जीत नही बल्कि 2002 में गोधरा में मुसलमानों के खिलाफ साजिश रचकर गुजरात भर में मुसलमानों पर मोदी के सरकारी व गैरसरकारी आतंकियों द्वारा किये गये कत्लेआम को फिर दोहराये जाने का खौफ दिखाकर मुसलमानों को मोदी के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर करके हासिल की गयी जीत है। इस जीत की इतनी वावैला किया जाना फिजूल समय बर्बाद करने के सिवा कुछ नहीं। इस बार मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत इस बात का साफ सबूत है कि जिस गुजरात में मोदी ने अपने सरकारी व गैरसरकारी आतंकियों के हाथों तीन हजार से ज्यादा बेगुनाह मुसलमानों को बेदर्दी से कत्लेआम करायाए पूरे पूरे परिवार जिन्दा जलवा दिये मासूम अबलाओं की आबरूऐं लुटवाई, उस समय मोदी के आतंकियों के हाथों कत्ल होने से जो मुसलमान बच गये वे क्या अपनी खुशी से गुजरात आतंकवाद के मास्टर माइण्ड मोदी को वोट देंगे? कभी नहीं। मगर आतंक  को दोहराने का खौफ दिखाकर कुछ भी करने के लिए मजबूर किया जा सकता है जिस तरह इस बार गुजरात विधानसभा चुनावों में मुसलमानों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर किया गया। इसी तरह मोदी की सभाओं में भी मुसलमानों को सरकारी बन्दूकों के बल पर बुलाया जाता है और अपनी जय जयकार कराई जाती है। वरना जिनके परिवारों खानदानों के लोगों को बेरहमी से कत्ल किया गया जिन्दा जलाया गया वे किस दिन से मोदी को वोट देगें। गुजरात आतंक को दोहराने की बात सुनकर गुजरात का मुसलमान कांप उठता है फिर इनसे जो कहा जाता है बेचारे वही करीते है वह चाहे मोदी की सभाओं में आकर मोदी के गुणगान करना हो या मोदी को वोट देना। 2002 में मोदी के सरकारी व गैरसरकारी आतंकियों के हाथों अपना सब कुछ लुटाये बैठे गुजरात के मुसलमान इस समय मोदी व मोदी के सरकार व गैरसरकारी आतंकियों के इशारे पर नाचने को मजबूर हैं। 2002 के आतंकी हमले को करीब से देख चुके या उसमें अपना सब कुछ गंवा चुके गुजरात के मुसलमानों ने आतंकी हमले को दोहराये जाने से बचने के लिए मजबूरन मोदी को वोट दिया। मोदी की जीत पर अमरीका व गुजरात पोषित कुछ मीडिया धड़ों ने मोदी को भगवान ही बना डाला मोदी के नाम को ही देव मंत्र की जगह इस्तेमाल कर दिया।
गुजरात के मुसलमानों द्वारा मोदी को वोट दिये जाने की एक और बड़ी वजह यह है कि मोदी के मुकाबले में एक बड़ी पार्टी सिर्फ कांग्रेस ही थी। जी हां वहीं कांग्रेस जो सोनिया गांधी उपासक और आरएसएस की एजेंण्ट है। वही कांग्रेस जिसकी सरकार ने 2002 में गुजरात में आतंकियों के हाथों कत्ल किये गये हजारों बेगुनाह मासूम मुसलमानों की लाशों पर जश्न मनाते हुए आतंकियों के मास्टर माइण्ड को सम्मान व पुरूस्कार देकर अपने आरएसएस नामक भगवान को खुश किया। गुजरात में आतंकी हमले के समय तो सोनिया उपासक कांग्रेस औकात पर थी लेकिन जल्दी ही देश का शरीफ व अमन पसन्द मतदाता एक बार फिर सोनया के धडि़याली आसुंओं का शिकार हो गया और झांसे में आकर हमेशा से ही मुसलमानों के साथ गद्दारी करती रहने वाली कांग्रेस को औकात से उठाकर केन्द्र की सरकार में ला खड़ा किया। बस कांग्रेस को इसी मौके का इन्तेजार था, क्योंकि गुजरात आतंकी हमले के दौरान तो कांग्रेस की औकात ही नहीं थी कि हजारों बेगुनाह मुसलमानों के कत्लेआम पर जश्न मनाती, सरकार में आते ही कांग्रेस ने सबसे पहले अपने आरएसएस के आकाओं को खुश करने के लिए गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को सम्मान और पुरूस्कार दिया। देश का बंटवारा, महाराष्ट्र में मुस्लिमों के कत्लेआम, बाबरी मस्जिद के ताले खुलवाकर उसमें मूर्तियां रखवाने, बाबरी मस्जिद में पूजा शुरू कराने, बाबरी ढहाने की साजिश रचने और गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड को सम्मान देने जैसी कांग्रेस की गद्दारियों को देखने के बाद खुद को मुसलमान बताने वाले कुछेक दलालों को छोड़कर तमाम मुसलमान कांगे्रस का साथ देकर अपना ईमान खराब नही करना चाहता, कांग्रेस की गद्दारियों की ही वजह है कि गुजरे उ0प्र0 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस औकात पर ही रही और गुजरात विधानसभा चुनावों में भी मुस्लिम वोट गुजरात आतंक के मास्टर माइण्ड के मुकाबले में भी कांग्रेस को नही मिला।
इन सब हालात को जानने के बाद कैसे कहा जा सकता है कि मोदी की यह जीत मोदी की लोकप्रियता की कारण हुई। मोदी की यह जीत गुजरात आतंक को दोहराने का खौफ दिखाकर और अमरीका व आरएसएस एजेण्ट कांग्रेस की मुसलमान से गददारियों का नतीजा है इसलिए इस जीत पर अमरीका व गुजरात पोषित मीडिया समेत दूसरों का भी उछलना बेकार ही है।

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