Sunday 20 January 2013

हेमन्त करकरे जिन्दाबाद


हेमन्त करकरे जिन्दाबाद
मजहब की ठेकेदारी से, नफरत की पैरोकारी से।
जो दूर रहें मजहब और धर्मों की हर रिश्तेदारी से।।
‘कामते’ ‘सालसकर’ से कुछ नए सरफिरे पैदा कर।
अल्लाह दुआ हम सबकी है एक और ‘करकरे’ पैदा कर।।
जो समझ सके कि दहशत का एक और चेहरा होता है।
अफसोस मगर एक ‘ खास कौम ’ के सर पर सेहरा होता है।
जिसकी खातिर दहशतगर्दी का मतलब दहशतगर्दी हो।
जिसे किसी न जात न किसी कौम से कोई भी हमदर्दी हो।
नफरत की परिभाषा बदले, कुछ नए दायरे पैदा कर।।
अल्लाह दुआ हम सबकी है एक और करकरे.............।
जिसकी कुरबानी भारत में हम सदियों सदियों याद करे।
जिसकी इंसाफ परस्ती को हम गलियों गलियों याद करे।
मौला हम सब होंठो पर मासूम दुआएं बची रहे।
कविता (करकरे) जैसी हिंदुस्तान में लाखों माएं बची रहें।
मोदी, कसाब, न तोगडि़या, न कोई ठाकरे पैदा कर।।
अल्लाह दुआ हम सबकी है बस एक करकरे पैदा कर।।
हिंदुस्तान जिंदाबाद ! हेमन्त करकरे जिन्दाबाद

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