बरेली शहर में अमन चाहते हैं।।
वो ही प्यार आपस में हो भाईचारा।
वो ही शहर में बांकपन चाहते हैं।।
दिलों में मोहब्बत के हों दीप रौशन।
उजाले की ऐसी किरन चाहते हैं।।
न हो कोई नफरत न कोई कदूरत।
मोहब्बत की सच्ची लगन चाहते हैं।।
गले मिलके शिकवे सभी भूल जायें।
यही शायद अहले वतन चाहते हैं।।
(गयास शाद शमसी)
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