गुजरे तीन चार हफतों के दरमियान पाकिस्तान से तीर्थ यात्रा का वीजा लेकर भारत आने वाले लोग मनगढ़त कहानियां सुनाकर भारत में जन्म से ही रह रहे मुसलमानों को परेशान करने की कोशिश में जुटे हैं। इनके ड्रामें को गुजरात व अमरीका पोषित मीडिया मसाले दार बनाकर लोगों को भड़काकर मुस्लिमों पर हमले कराने में जुट गयी है ये मीडिया के वही धड़े है जिन्हें आसाम, और बरमा में हो रही आतंकी कर्तूत नहीं दिख रही। हिन्द पाक के बीच नफरत की खाई को बढ़ाने की कोशिश करने वाले पाकिस्तानी देशद्रोहियों की भारत की कांग्रेस सरकार खातिर दारी में लगी है। मीडिया के कथित धड़े इन पाकिस्तानियों के नाटकीय कहानियों को खूब मिर्च मसाले के साथ पेश कर रहे हैं। अब सरकार ने भी पाकिस्तानियों की हिमायत की तरफदारी करना शुरू कर दी।
याद दिलादें कि यह भारत का वही धर्म निर्पेक्ष संविधान के नाम से मशहूर संविधान है कि जो पाकिस्तानियों को आतंकी बताता है पाकिस्तानी महिलाओं को उनके बच्चे छोड़कर जाने पर मजबूर करता रहा है। गुजरे आठ महीने के दौरान वहीं संविधान पाकस्तिानी देशद्रोहियों को सरकारी खर्च पर पालने में जुटा है। लगभग सात महीने पहले पाकिस्तान सरकार का एक देशद्रोही जोकि पाकिस्तान सरकार में मंत्री भी था वह भागकर भारत आया और उसने यहां लोगों को भड़काना शुरू कर दिया, भारत के कानून ने इसको गोद ले लिया और सरकारी महमान बनाकर पालने लगी।
आपको यह भी याद दिलादें कि बीसों साल पहले भारतीय पुरूषों से शादिया करके रह रही पाकिस्तानी महिलाओं को उनके नन्हें नन्हें बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान जाने पर मजबूर किया जाता रहा है। लेकिन उसी पाकिस्तान से आने वाले गद्दारों को सरकारी महमान बनाकर रखा जा रहा है। मुस्लिमों पर जुल्म की बात को भड़काऊ कहा जाता है जबकि सोशल नेटवर्किंग साईटों व कथित मीडिया के जरिये लोग किसी भी लावारिस लाश का फोटो लगाकर लिखते हैं कि ‘‘इसको देखकर जिस हिन्दू का खून न खौले वह खून नहीं पानी है’’। इसी तरह की सैकड़ों तस्वीरें और टिप्पणियां अपलोड की जा रही हैं, ऐसा भी नहीं कि यह हरकतें सिर्फ संघ, विहिप या भाजपा के लोग ही करते हो बल्कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के लोग भी खुलेआम कर रहे हैं। आजतक किसी पर भी किसी तरह कोई अंकुश नहीं लगाया गया। न ही किसी सचिवालय को एतराज हुआ न ही मंत्रालय को कोई आपत्ति हुई। क्या म्यामार या असम में मुसलमानों का कत्लेआम नही किया जा रहा, क्या गुजरात में आतंकियों ने बेगुनाहों का कत्लेआम नहीं किया? क्या सभी बातें पाकिस्तान की साजिशी अफवाह हैं? अगर ये सारे कत्लेआम पाकिस्तान की साजिशी अफवाहें है तो सच क्या है केन्द्रीय गृह सचिव सबूत के साथ देश के मुसलमानों को बतायें कि म्यांमार असम का सच क्या है। अगर मान लिया जाये कि असम और मयांमार में कत्लेआम नहीं (गृहसचिव के कथनानुसार) हो रहा तो ठीक है गुजरात में आतंकियों की कर्तूतों से तो इंकार नहीं कर सकते केन्द्रीय गृह सचिव। क्या किया उन्होंने गुजरात आतंकियों के खिलाफ? यही न कि नानावटी आयोग और मिश्र आयोग की रिपोर्टों पर भी कोई अमल नहीं किया गया आजतक। जब सोशल नेटवर्किंग साईटों पर मौजूद बरमा व असम की तस्वीरें एंव वीडियो देखे तो वे तस्वीरें और लेख भी जरूर देखे होंगे जिनमें लिखा गया है कि ‘‘इसे देखकर जिस हिन्दू का खून न खौले वह खून नही पानी है।’’ क्या कार्यवाही की ऐसे भड़काने वालों के खिलाफ?
दरअसल यह साबित हो चुका है कि भारत के नेताओं, सरकारी मशीनरी को पाकिस्तान से कोई नफरत नहीं है। नफरत मुसलमान से है। जिसका सबूत यह है कि उन पाकिस्तानी औरतों को उनके बच्चों तक को छोड़कर जाने पर मजबूर किया जाता है जो बीसों साल पहले यहां शादियां करके रह रही हैं, एक 80 वर्षीय वृद्ध को पाकिस्तानी बताकर यह कहकर कई साल तक जेल में सड़ाया गया कि वह वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी आजतक रह रहा था यहां तक कि गुजरे महीने उसकी जेल में ही मौत हो गयी। जबकि पाकिस्तान से सात आठ महीने पहले पाकिस्तान से वहां का एक देशद्रोही भागकर आया जोकि वहां की सरकार में मंत्री भी था उसे आजतक बादस्तूर सरकारी महमान बनाकर खातिर की जा रही है, और अब तीर्थ यात्रा करने आने वालों की कहानियों को सरकारी तौर पर भी तूल दिया जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा अगर पाकिस्तान में ऐसा कुछ होता तो सबसे पहले तो मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका और वहां की मीडिया ही चीखना शुरू कर देती साथ ही दूसरे देशों की मीडिया भी मिर्च मसाले के साथ जमकर उछालती, लेकिन आजतक कोई खबर नहीं मिली। अब तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आकर लोग नाटक फैला रहंे हैं हम पाकिस्तान जैसे देश के लोगों पर कैसे विश्वास करलें। क्या गारन्टी है कि ये लोग पाकिस्तान से सिर्फ भारत में आतंक मचाने नहीं आये। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय सरकार और खुफिया तन्त्र के अनुसार भारत में सारे क्राईम पाकिस्तान इशारे पर होते हैं तो फिर आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान के लोगों पर विश्वास क्यों करें आखिर हैं तो सब ही आतंकी, वह चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम। अगर गृह सचिव का यह मानना है कि पाकिस्तानी हिन्दू शरीफ हैं तो फिर यह साफ हो गया कि भारत की सरकारों और सरकारी मशीनरी एंव मीडिया को पाकिस्तान से कोई एलर्जी न होकर सिर्फ मुसलमान से है। अगर ऐसा नहीं है तो अबतक जितने भी पाकिस्तानी देशद्रोही भारत में महीनों से सरकारी महमान बनाकर रखे जा रहे हैं इन सबको भारत से निकाल दिया जाना चाहिये, लेकिन ऐसा न किया गया और न ही किया जायेगा। इन सब हालात के बाद किस मुंह से कहा जाता है कि भारत का संविधान धर्मनिर्पेक्ष है। किसी भी बात से से साबित नहीं होता कि देश का कानून धर्मनिर्पेक्ष है। ऐसे लाखों उदाहरण हैं जो यह साबित कर देते हैं कि कानून धर्मनिर्पेक्ष नहीं है। एक ताजा प्रमाण यही देखिये कि बरेली में 20 अगस्त को ईद के दिन कर्फयु में ढील सिर्फ शाम छः बजे तक ही दी गयी, जबकि आठ दिन पहले ही रक्षाबन्धन के अवसर पर कर्फयु में ढील रात नौ बजे तक दी गयी थी।
याद दिलादें कि यह भारत का वही धर्म निर्पेक्ष संविधान के नाम से मशहूर संविधान है कि जो पाकिस्तानियों को आतंकी बताता है पाकिस्तानी महिलाओं को उनके बच्चे छोड़कर जाने पर मजबूर करता रहा है। गुजरे आठ महीने के दौरान वहीं संविधान पाकस्तिानी देशद्रोहियों को सरकारी खर्च पर पालने में जुटा है। लगभग सात महीने पहले पाकिस्तान सरकार का एक देशद्रोही जोकि पाकिस्तान सरकार में मंत्री भी था वह भागकर भारत आया और उसने यहां लोगों को भड़काना शुरू कर दिया, भारत के कानून ने इसको गोद ले लिया और सरकारी महमान बनाकर पालने लगी।
आपको यह भी याद दिलादें कि बीसों साल पहले भारतीय पुरूषों से शादिया करके रह रही पाकिस्तानी महिलाओं को उनके नन्हें नन्हें बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान जाने पर मजबूर किया जाता रहा है। लेकिन उसी पाकिस्तान से आने वाले गद्दारों को सरकारी महमान बनाकर रखा जा रहा है। मुस्लिमों पर जुल्म की बात को भड़काऊ कहा जाता है जबकि सोशल नेटवर्किंग साईटों व कथित मीडिया के जरिये लोग किसी भी लावारिस लाश का फोटो लगाकर लिखते हैं कि ‘‘इसको देखकर जिस हिन्दू का खून न खौले वह खून नहीं पानी है’’। इसी तरह की सैकड़ों तस्वीरें और टिप्पणियां अपलोड की जा रही हैं, ऐसा भी नहीं कि यह हरकतें सिर्फ संघ, विहिप या भाजपा के लोग ही करते हो बल्कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के लोग भी खुलेआम कर रहे हैं। आजतक किसी पर भी किसी तरह कोई अंकुश नहीं लगाया गया। न ही किसी सचिवालय को एतराज हुआ न ही मंत्रालय को कोई आपत्ति हुई। क्या म्यामार या असम में मुसलमानों का कत्लेआम नही किया जा रहा, क्या गुजरात में आतंकियों ने बेगुनाहों का कत्लेआम नहीं किया? क्या सभी बातें पाकिस्तान की साजिशी अफवाह हैं? अगर ये सारे कत्लेआम पाकिस्तान की साजिशी अफवाहें है तो सच क्या है केन्द्रीय गृह सचिव सबूत के साथ देश के मुसलमानों को बतायें कि म्यांमार असम का सच क्या है। अगर मान लिया जाये कि असम और मयांमार में कत्लेआम नहीं (गृहसचिव के कथनानुसार) हो रहा तो ठीक है गुजरात में आतंकियों की कर्तूतों से तो इंकार नहीं कर सकते केन्द्रीय गृह सचिव। क्या किया उन्होंने गुजरात आतंकियों के खिलाफ? यही न कि नानावटी आयोग और मिश्र आयोग की रिपोर्टों पर भी कोई अमल नहीं किया गया आजतक। जब सोशल नेटवर्किंग साईटों पर मौजूद बरमा व असम की तस्वीरें एंव वीडियो देखे तो वे तस्वीरें और लेख भी जरूर देखे होंगे जिनमें लिखा गया है कि ‘‘इसे देखकर जिस हिन्दू का खून न खौले वह खून नही पानी है।’’ क्या कार्यवाही की ऐसे भड़काने वालों के खिलाफ?
दरअसल यह साबित हो चुका है कि भारत के नेताओं, सरकारी मशीनरी को पाकिस्तान से कोई नफरत नहीं है। नफरत मुसलमान से है। जिसका सबूत यह है कि उन पाकिस्तानी औरतों को उनके बच्चों तक को छोड़कर जाने पर मजबूर किया जाता है जो बीसों साल पहले यहां शादियां करके रह रही हैं, एक 80 वर्षीय वृद्ध को पाकिस्तानी बताकर यह कहकर कई साल तक जेल में सड़ाया गया कि वह वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी आजतक रह रहा था यहां तक कि गुजरे महीने उसकी जेल में ही मौत हो गयी। जबकि पाकिस्तान से सात आठ महीने पहले पाकिस्तान से वहां का एक देशद्रोही भागकर आया जोकि वहां की सरकार में मंत्री भी था उसे आजतक बादस्तूर सरकारी महमान बनाकर खातिर की जा रही है, और अब तीर्थ यात्रा करने आने वालों की कहानियों को सरकारी तौर पर भी तूल दिया जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा अगर पाकिस्तान में ऐसा कुछ होता तो सबसे पहले तो मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका और वहां की मीडिया ही चीखना शुरू कर देती साथ ही दूसरे देशों की मीडिया भी मिर्च मसाले के साथ जमकर उछालती, लेकिन आजतक कोई खबर नहीं मिली। अब तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आकर लोग नाटक फैला रहंे हैं हम पाकिस्तान जैसे देश के लोगों पर कैसे विश्वास करलें। क्या गारन्टी है कि ये लोग पाकिस्तान से सिर्फ भारत में आतंक मचाने नहीं आये। हम यह बात इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय सरकार और खुफिया तन्त्र के अनुसार भारत में सारे क्राईम पाकिस्तान इशारे पर होते हैं तो फिर आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान के लोगों पर विश्वास क्यों करें आखिर हैं तो सब ही आतंकी, वह चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम। अगर गृह सचिव का यह मानना है कि पाकिस्तानी हिन्दू शरीफ हैं तो फिर यह साफ हो गया कि भारत की सरकारों और सरकारी मशीनरी एंव मीडिया को पाकिस्तान से कोई एलर्जी न होकर सिर्फ मुसलमान से है। अगर ऐसा नहीं है तो अबतक जितने भी पाकिस्तानी देशद्रोही भारत में महीनों से सरकारी महमान बनाकर रखे जा रहे हैं इन सबको भारत से निकाल दिया जाना चाहिये, लेकिन ऐसा न किया गया और न ही किया जायेगा। इन सब हालात के बाद किस मुंह से कहा जाता है कि भारत का संविधान धर्मनिर्पेक्ष है। किसी भी बात से से साबित नहीं होता कि देश का कानून धर्मनिर्पेक्ष है। ऐसे लाखों उदाहरण हैं जो यह साबित कर देते हैं कि कानून धर्मनिर्पेक्ष नहीं है। एक ताजा प्रमाण यही देखिये कि बरेली में 20 अगस्त को ईद के दिन कर्फयु में ढील सिर्फ शाम छः बजे तक ही दी गयी, जबकि आठ दिन पहले ही रक्षाबन्धन के अवसर पर कर्फयु में ढील रात नौ बजे तक दी गयी थी।
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